Tuesday, July 23, 2024
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निवेश का झांसा देकर शिकार बनाने वाले अंतर्राष्ट्रीय साइबर धोखाधड़ी सिंडिकेट का पर्दाफाश, 5 गिरफ्तार

दिल्ली पुलिस ने मंगलवार को पांच लोगों की गिरफ्तारी के साथ High Return के नाम पर लोगों को ठगने वाले अंतर्राष्ट्रीय साइबर ठगों की एक गिरोह को भंडाफोड़ किया है। उनके बैंक खतों में 1.25 करोड़ रुपये के लेन देन का पता चला।

दिल्ली पुलिस ने आरोपी विवेक कुमार सिंह (33), मनीष कुमार (23), सुहेल अकरम जिसे सैयद अहमद (32) के रूप में भी जाना जाता है, गौरव शर्मा (23) और बलराम (32) को गिरफ्तार किया। डीसीपी मध्य जिला संजय कुमार सेन के मुताबिक एडिशनल डीसीपी सचिन शर्मा और हुक्माराम के नेतृत्व में पुलिस पिछले तीन महीने से इस गिरोह के पीछे लगी हुई थी। पुलिस के मुताबिक इन सभी आरोपियों के तार दुबई और फिलीपीन्स में रहने वाले कुछ विदेशी नागरिकों से जुड़े हैं। विदेशी नागरिकों के माध्यम से आरोपित ठगी की रकम को ऑनलाइन सट्टेबाजी और गेमिंग में निवेश करते थे और उनसे संपर्क बनाने के लिए Telegram और Linkedin जैसे प्लेटफॉर्म्स का इस्तेमाल किया जाता था। आरोपितों के पास से ठगी के पैसों से खरीदी हुई होंडा सिटी कार के अलावा 25 मोबाइल, 31 सिम कार्ड्स, पैन कार्ड्स, आधार कार्ड्स, पासबुक आदि बरामद की गई हैं। आरोपितों कि अपराध से जुडी व्हाट्सप्प चाट भी मिली है जिसके आधार पर इनकी गिरफ़्तारी कि गई।

दरअसल 6 जून को, आशीष अग्रवाल ने राष्ट्रीय साइबर-अपराध पोर्टल पर एक शिकायत दर्ज की, कि मई महीने में उसे उसके व्हाट्सएप पर एक संदेश मिला। संदेश भेजने वाले ने उसे उच्च रिटर्न का वादा करते हुए टेलीग्राम ऐप में निवेश करने के लिए प्रलोभित किया। पहले, उन्होंने 1,100 रुपये वापसी का वादा करते हुए 1,000 रुपये निवेश करने के लिए कहा। उसने एक टेलीग्राम ग्रुप में 1,000 रुपये का निवेश किया और बाद में 1,100 रुपये प्राप्त किए। फिर आरोपी ने उसे 10,000 रुपये का निवेश करने के लिए मनाया, 12,000 रुपये की वापसी का वादा करते हुए ।

धीरे-धीरे, उन्होंने उसे हाई रिटर्न के नाम पर और अधिक निवेश का झांसा दिया और मूल धन कि वापसी का बहाने उससे और अधिक निवेश करवाते गए। निवेश का ये सिलसिला 30 लाख तक चला कभी इनकम टैक्स के नाम पर, कभी सिबिल स्कोर के नाम पर अपराधी पीड़ित से पैसे जमा करवाते गए और एक बड़ी ठगी का शिकार बना लिया।

जांच के दौरान, पुलिस ने बैंक अकाउंट डिटेल्स और मोबाइल नंबरों के कॉल विवरण रिकॉर्ड (CDR) प्राप्त किए, जो आरोपी/संदिग्ध व्यक्तियों के बैंक खातों से जुड़े थे। जांच से पता चला कि ठगी गई रकम को विभिन्न बैंकों और शहरों में 25 बैंक खातों में ट्रांसफर किया गया था। इन खातों से भी पैसा विभिन्न अन्य बैंक खातों में आगे ट्रांसफर किया गया। दिल्ली के नांगलोई पते पर “एयर स्काई ” नामक एक नकली कंपनी के नाम से एक चालू बैंक खाता खोला गय।

सत्यापन पर पता चला कि उस परिसर को सुहेल अक्रम नामक व्यक्ति ने किराए पर लिया था, जिससे गौरव शर्मा भी जुड़ा हुआ था। जांच से यह भी पता चला कि इस पते पर 11 नकली कंपनियां पंजीकृत थीं, जिनमें अलग अलग व्यक्तियों को इन कंपनियों के निदेशक के रूप में फ़र्ज़ी तरीके से सूचीबद्ध किया गया था। 18 सितंबर को, विशेष जानकारी के आधार पर, पुलिस ने मालवीय नगर में सुहेल अकरम और उसके साथी, गौरव शर्मा को गिरफ्तार किया।

उनके पास से विभिन्न नामों के साथ नकली मुहरें, बैंक अकाउंट डिटेल्स , और डेबिट कार्ड बरामद किए गए थे।अभियुक्तों के लगातार पूछताछ पर पता चला कि वे जाली दस्तावेजों का उपयोग करके शेल कंपनियों के पंजीकरण के लिए परिसर किराए पर लेते थे। फिर वे इन शेल कंपनियों के नामों का उपयोग करके विभिन्न बैंकों में चालू बैंक खाते खोलते थे, मुख्य रूप से येस बैंक और आरबीएल बैंक में। सुहेल अक्रम के दोस्त, बलराम, इन शेल कंपनियों के नाम पर फ़र्ज़ी डायरेक्टर्स को जोड़ने का काम करते थे। सुहेल के निर्देश पर, बलराम को भी गिरफ्तार किया गया। सुहेल ने आगे खुलासा किया कि वह विवेक कुमार सिंह को इन धोखाधड़ी चालू बैंक खातों की विवरण प्रदान करता था, जो गुरुग्राम, हरियाणा के सेक्टर 28, डीएलएफ फेज-1 में रहते थे।

इस जानकारी के आधार पर, पुलिस ने विवेक कुमार सिंह और उसके साथी, मनीष कुमार को गिरफ्तार किया। विवेक वही व्यक्ति है जो दुबई और फिलीपींस में बैठे साइबर अपराधियों के संपर्क में था। विवेक ने खुलासा किया कि वह टेलीग्राम और लिंक्डइन के माध्यम से ऑनलाइन सट्टा, खेल, और निवेश में शामिल विदेशी नागरिकों से जुड़ा था। इन बैंक खातों में रोजाना एक करोड़ रुपये से अधिक का लेन देन होता था। सुहैल अकरम ने फ़र्ज़ी दस्तावेजों से अपनी पहचान सैयद अहमद के रूप में बदल ली थी और अवैध कमाई के लिए कई सारी फ़र्ज़ी कंपनियां खोल रखी थीं।

आपको यहाँ बता दे कि विवेक कुमार हरियाणा के इंजीनियरिंग कॉलेज से बीटेक का छात्र रहा है और UPSC की परीक्षा भी दे चुका है। विवेक ने माय स्वदेशी प्रोडक्ट प्राइवेट लिमिटेड के नाम से भी कंपनी खोल रखी थी। उसका काम फ़र्ज़ी खतों को विदेशी साइबर अपराधियों तक पहुँचाना होता था जिसके एवज में उसको कुल लेन देन पर तीन से चार प्रतिशत का कमीशन मिलता था।

मनीष कुमार राजस्थान के झुंझनू का रहने वाला था और उसका काम भी बैंक खातों का इंतजाम करना और विवेक कुमार सिंह कि मदद करना था। सुहैल अकरम ने SRM यूनिवर्सिटी से कंप्यूटर साइंस में बीटेक कर रखा है और वह दिल्ली एनसीआर रीजन में फ़र्ज़ी दस्तावेजों के आधार पर ऑफिस परिसर को किराये पर लेता था और फ़र्ज़ी कंपनियों का रजिस्ट्रेशन करने और बाद में उसके नाम पर अलग अलग बैंकों में फ़र्ज़ी खाते खुलवाता था।
गिरोह के एक अन्य सदस्य गौरव शर्मा भी फ़र्ज़ी बैंक खातों का इंतजाम किया करता था। बलराम ने सुहैल के साथ मिलकर कुल 6 फ़र्ज़ी कंपनियां खोल रखी थी।

पुलिस ने बताया कि आगे की जांच जारी है और इस तरह के साइबर ठगों के शृंखला में शामिल अन्य व्यक्तियों को गिरफ्तार करने की प्रयास जारी है।

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1 COMMENT

  1. I have become victim of telegram prepaid task scam fraud I have submitted all documents to cyber police please help me ,
    My 135500 rs have been taken they are still calling me from 9930208158 and sending msg from WhatsApp and telegram

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